हाथ में चप्पल,कांधे पर बेग,कीचड़ में गिरते पड़ते चलते स्कूली बच्चे—

आजादी के अमृतकाल में सोशल मीडिया पर उभरा स्कूली बच्चों का दर्द
कीचड़ मे पेर ,हाथ मे चप्पल कांधे पर बैग ले 1किमी दूर जाते स्कूल
बुनियादें जरूरतों को तरसता जिला
आलोराजपुर–– कीचड़ से सना रास्ता बचते गिरते बच्चों के हाथों में चप्पल कंधे पर बैग लेकर लगभग 1 किलोमीटर स्कूल का सफर तय करते हैं। यह किसी फिल्म की कहानी नहीं होकर जिले के दूरस्थ कट्ठीवाड़ा तहसील के ग्राम साजनपुर की है। यह कहानी जब सोशल मीडिया पर उभरती है तो जिम्मेदार लोग इस पर चुप्पी साध लेते हैं। ऐसे में अगर अमृत कल में जिला बुनियादी सुविधाओं में भी पिछड़ता दिखे तो इसे हम क्या कहेंगे।


क्या है मामला—— जिले के कट्ठीवाड़ा विकासखंड के ग्राम साजनपुर के कस्तूरबा गांधी आश्रम में शासन की सुविधा का लाभ लेकर विद्या अध्ययन करते उन बच्चों की दुविधा का है जिसमें वह अपनी स्कूल तक की लगभग एक किलोमीटर की दूरी का सफर बरसात के दिनों में कीचड़ से सने रास्तों में कभी संभलते तो कभी गिरते हुए अपने साथी छात्रों के साथ के सहारे हाथों में चप्पल और कंधे में बैग देखकर अपना भविष्य बनाने का प्रयास करते देखे जा सकते हैं।

सालों बाद भी जिला बनने के पहले और जिला बनने के बाद भी बुनियादी सुविधाओं की ओर टकटकी लगाते हुए देखता आ रहा है। जिम्मेदार लोग गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाते हैं।
और इस तरह के परेशानी के वीडियो पर जिम्मेदार चुप्पी साध देते हैं। ऐसे में अपने माता-पिता के लाडले जब अपना भविष्य बनाने के लिए घर से निकलकर स्कूल की ओर जाते हैं तो उनकी धड़कन तेज हो जाती है कि हमारे लाडले के साथ कोई हादसा ना हो जाए।

बहरहाल यह तो जिले का एक उदाहरण है जो सोशल मीडिया पर सामने आया है। ऐसे कई उदाहरण वास्तविक रूप से दुरुस्त ग्रामीण क्षेत्रों में देखे जा सकते हैं, लेकिन फिर वही बड़ा सवाल खड़ा होता है। देखेगा कौन??
जिम्मेदार अधिकारी या वाहनों में सफर करते बड़े साहब। अमूमन जिले का यह दुर्भाग्य है कि शिक्षा विभाग के मुखिया के रूप में प्रभारी अधिकारी काम कर रहे हे संजय परवाल के पास न जाने कितने विभागों के चार्ज है। उन्हें पता नहीं लगता कि कौन से विभाग में कब कौन सा काम करना है।
अपुष्ट सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग के महकमे में बड़ा पद संभाल रहे अधिकारी अपने विभिन्न पदों के नीचे अधिनस्त कर्मचारियों को प्रभारी अधिकारी बनवाकर अपना रसूख बनाएं रख रहे हैं। ऐसे में शिक्षा विभाग जैसे महत्वपूर्ण पद पर जिले का अधिकारी अपने विभिन्न पदों में उलझा रहेगा तो वह स्कूलों मैं मूलभूत सुविधाओं पर कब ध्यान दे सकेगा।
कुछ बोले जिम्मेदार-–मुझे अभी जानकारी मिली है।जनपद सीईओ को भेज कर जल्द सड़क मार्ग बनवाने का प्रयास करेंगे।
तपीस पांडे एसडीएम

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