हर साल गणवेश बदलना,एक दुकान से खरीददारी करवाना अपराध है—कलेक्टर

निजी विद्यालय फीस बैठक में प्राचार्यो को कलेक्टर की दो टूक–
भवन,गणवेश से नही शिक्षा के स्तर और शिक्षकों के व्यवहार से पहचान बनती है–
पैसा कमाना बाय प्रोडक्ट, लेकिन शिक्षा का अंतिम लक्ष्य समाज कल्याण हो
आलीराजपुर—राकेश तंवर
पैसा कमाना एक बाय प्रोडक्ट हो सकता है लेकिन शिक्षा का अंतिम लक्ष्य समाज कल्याण है । उक्त विचार कलेक्टर डॉ अरविंद अभय बेडेकर ने कलेक्टर सभा कक्ष में मध्यप्रदेश निजी विद्यालय अधिनियम 2018 एवं नियम 2020 के प्रावधानों के सम्बन्द्ध में जिले के निजी विद्यालयों के प्राचार्यो की हुए बैठक में कहे।
बैठक में कलेक्टर ने निजी विद्यालयों के प्राचार्यो को चेताते हुए की शिक्षा एक नोबल पेशा माना जाता हैं।स्कूल प्राचार्य इनके संचालन के दौरान मानव मूल्यों पर ध्यान देने को कहा है ।
कलेक्टर ने बैठक में उपस्थित निजी विद्यालयों के जिम्मेदारों को चेताते हुए कहा है कि कोई विद्यालय अच्छे भवन,अच्छे गणवेश से अपनी पहचान नही बना सकता ,लेकिन उसकी पहचान विद्यालय के शिक्षा के स्तर एवं शिक्षकों के व्यवहार से बनती है ।इसीलिये समाज कल्याण की भावना को जीवित रखने का प्रयास होना चाहिए।
बैठक में कलेक्टर डॉ बेडेकर ने कहा कि हर साल मनमाने तरीके से फीस बढ़ाना कानूनन अपराध है ।शासन ने स्कूल द्वारा फीस बढ़ाने के नियम निर्धारित किये गए है ।इस तरह की शिकायत पर कार्यवाही होगी। इस दौरान स्कूलों से बच्चों को गुणवत्ता शिक्षा प्रदान करने के साथ बस्ते का वजन कम करने का प्रयास करना चाहिए।हर साल फीस बढ़ाना,सिलेबस बदलना,एक दुकान से किताबे खरीदने के निर्देश देना अपराध की श्रेणी में आता है।
कलेक्टर ने जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए कि दल बना कर वाहन फिटनेस,भवन फिटनेस, फीस स्ट्रक्चर,खेल के मैदान की स्थिति, मान्यता प्राप्ति की स्थिति का पालन जैसे बिंदुओं पर जांच कर एक सप्ताह में जिला मुख्यालय में प्रतिवेदन देंगे को कहा है ।

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